Wednesday 4 November 2015

कश्मीर के आतंक की दास्तान


कश्मीर के आतंक की दास्तान जरूर पढ़े!
शाम होते ही लाउडस्पीकर की आवाज तेज हो जाती थी काफिरो घाटी छोडो कश्मीर हमारा है भीड़ की भीड़ घुसती थी हिन्दू मुहल्लों में तब बस हत्या करके नही छोड़ा जाता था बल्कि स्त्रियों के स्तनों को काट कर उसपे अपना धर्मिक चिन्ह बनाया जाता था बच्चों को दिवलो पर पटक पटक कर मार कर उनके शवो को गली के बिजली के तारो पर टांगा जाता था ताकि खौफ पैदा हो और बस्ती हिन्दुओ से खाली हो

रात के अँधेरे में हिन्दू सिक्ख बस्ती में से पुरुषो को एक तरफ खड़ा कर के एक-47 की मैगजीन खाली कर दी जाती थी औरतो को बिना कपड़ो के रोते हुए छोड़ा जाता था

घरो के बाहर पोस्टर लगते थे हमे काफिरो के घर चाहिए उनकी औरतो और बच्चियो के साथ,
15 लाख , 15 लाख कश्मीरी हिन्दुओ ने घाटी छोड़ी थी किसी यूरोप के देस की आबादी के बराबर थी ये आबादी 90 के दसक के अख़बार खून से सने हुए आते थे सुबह पुरे देस में उठा के देख लेना

लेकिन लेकिन सेकुलरलिजम की डायन सोनिया गांधी और कांग्रेस एवार्ड वापसी के लिए जागने को बस एक अख़लाक़ की मौत का इंतजार कर रही थी ||

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